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Ayushman Bharat Yojana: फंड जारी न करने पर HC ने पंजाब सरकार को फटकारा, वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन संलग्न करने के आदेश

Ayushman Bharat Yojana: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है, क्योंकि राज्य सरकार ने केंद्र से 350 करोड़ रुपये प्राप्त करने के बावजूद निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के तहत फंड जारी नहीं किया। इस मामले में न्यायालय ने पंजाब स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव कुमार राहुल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन संलग्न करने का आदेश दिया है।

केंद्र द्वारा राशि मिलने के बावजूद फंड जारी नहीं

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दिसंबर 2021 से अब तक पंजाब को आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता के रूप में 350 करोड़ रुपये की राशि मिली है। लेकिन इस धनराशि का उपयोग निजी अस्पतालों को भुगतान करने में नहीं किया गया। इसके परिणामस्वरूप, कई अस्पतालों को फंड की कमी के कारण सेवाएं प्रदान करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

Ayushman Bharat Yojana: फंड जारी न करने पर HC ने पंजाब सरकार को फटकारा, वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन संलग्न करने के आदेश

अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए सख्त आदेश

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पंजाब सरकार से दो सप्ताह के भीतर एक शपथपत्र प्रस्तुत करने को कहा है। इस शपथपत्र में राज्य को यह स्पष्ट करना होगा कि दिसंबर 2021 से अब तक केंद्र से मिली राशि का उपयोग किस तरह से किया गया है और यह भी बताना होगा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत भुगतान के लिए मिली राशि का क्या कोई अन्य प्रयोजन में उपयोग किया गया है।

गलत दिशा में उपयोग की गई राशि की जाँच

न्यायालय ने यह भी संकेत दिया है कि अगर यह साबित होता है कि सरकारी अधिकारियों ने इस धनराशि का अनधिकृत उपयोग किया है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। न्यायालय ने आदेश दिया है कि ऐसे दोषी अधिकारियों पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है, जिन्होंने राशि का गलत दिशा में उपयोग किया। अदालत के आदेश के अनुसार, पहले राज्य सरकार से विस्तृत प्रतिक्रिया ली जाएगी, जिसके बाद ही अगली कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।

वेतन संलग्न करने का आदेश

अदालत ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों के वेतन को संलग्न करने के आदेश भी दिए हैं, जिनमें पंजाब स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव कुमार राहुल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी बबिता, निदेशक दीपक और उप निदेशक शरणजीत कौर शामिल हैं। इन सभी अधिकारियों के वेतन तब तक संलग्न रहेंगे जब तक कि अदालत द्वारा मांगी गई जानकारी और संतोषजनक जवाब प्रस्तुत नहीं किए जाते।

भुगतान की जानकारी

अदालत ने राज्य सरकार से दिसंबर 2021 से सितंबर 2024 तक के बिलों के खिलाफ किए गए भुगतानों और भुगतान की तारीखों का विवरण भी मांगा है। न्यायालय ने राज्य से यह जानकारी भी मांगी है कि दिसंबर 2021 से सितंबर 2024 तक कितने अस्पतालों को भुगतान किया गया है और कितनी राशि जारी की गई है। इसके साथ ही अदालत ने यह भी पूछा है कि क्या केंद्र सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत भेजी गई राशि का उपयोग अन्य कार्यों के लिए किया गया है।

अस्पतालों पर वित्तीय संकट का प्रभाव

इस मामले ने राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल खड़े किए हैं। निजी अस्पताल, जिन्हें आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करनी थी, वे फंड की कमी के कारण सेवाएं प्रदान करने में असमर्थ हो गए हैं। यह स्थिति विशेष रूप से तब और गंभीर हो गई है जब राज्य को केंद्र से पूरी राशि मिलने के बावजूद इसे अस्पतालों को जारी नहीं किया गया है।

न्यायालय का निर्णय

न्यायालय का यह निर्णय न केवल राज्य के स्वास्थ्य प्रशासन के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि यह उन सरकारी अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी है जो सरकारी योजनाओं की निधियों का अनियमित उपयोग करते हैं। न्यायालय का स्पष्ट रुख इस बात की पुष्टि करता है कि यदि सरकारी योजनाओं के तहत प्राप्त फंड का उचित और समय पर उपयोग नहीं किया जाता, तो संबंधित अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

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